बड़ी टेक कंपनियां, छोटे चेक: भारत के IT फ्रेशर्स के लिए एक दशक पुरानी कहानी फिर से

बड़ी टेक कंपनियां, छोटे चेक भारत के IT फ्रेशर्स के लिए एक दशक पुरानी कहानी फिर से

शुरुआती दौर की सैलरी में ठहराव और CEO वेतन में उछाल

पिछले कुछ सालों से, भारत की IT sector में एक अजीब सी स्थिति बन रही है। एक तरफ तो freshers की सैलरी लगभग स्थिर है, या बहुत धीरे-धीरे बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ CEO और टॉप मैनेजमेंट के वेतन आसमान छू रहे हैं। ये एक तरह से déjà vu जैसा है – यानी, ऐसा लग रहा है कि ये कहानी पहले भी हो चुकी है। लगभग एक दशक पहले भी ऐसी ही स्थिति थी, जब IT companies ने बड़ी संख्या में भर्तियां तो कीं, लेकिन शुरुआती दौर के कर्मचारियों को बहुत कम वेतन दिया। अब फिर से वही हाल है।

यह बात समझना ज़रूरी है कि IT industry में growth बहुत तेज़ी से हो रहा है। Artificial Intelligence (AI), Machine Learning (ML), और Cloud Computing जैसी नई तकनीकों के आने से demand बढ़ गई है, लेकिन इसका फायदा ज़्यादातर टॉप लेवल के लोगों को मिल रहा है। Freshers को अभी भी entry-level काम करना पड़ रहा है और उन्हें उतनी सैलरी नहीं मिल रही है, जितनी उन्हें मिलनी चाहिए। कई बार तो ऐसा भी होता है कि students ने बहुत मेहनत करके engineering की डिग्री ली होती है, लेकिन उन्हें उनकी उम्मीद से बहुत कम सैलरी मिलती है।

क्यों हो रहा है ये सब?

इसके कई कारण हैं। सबसे पहला कारण तो ये है कि IT companies का ध्यान अब profit maximization पर ज़्यादा है। मतलब, वो ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसके लिए वो लागत कम करने की कोशिश करते हैं, और शुरुआती दौर के कर्मचारियों की सैलरी कम रखना एक तरीका है। दूसरा कारण ये है कि supply और demand का संतुलन गड़बड़ा गया है। IT sector में बहुत सारे freshers हैं, लेकिन उन सभी के पास ज़रूरी skills नहीं हैं। इसलिए, companies उन लोगों को ज़्यादा सैलरी देने के लिए तैयार नहीं हैं, जिनके पास कम skills हैं।

तीसरा और महत्वपूर्ण कारण है global economic slowdown। जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्था धीमी होती है, तो companies ज़्यादा सतर्क हो जाती हैं और खर्च कम करने की कोशिश करती हैं। इसका असर भी freshers की सैलरी पर पड़ता है। इसके अलावा, automation और AI के कारण भी कुछ jobs कम हो गए हैं, जिससे competition बढ़ गया है।

फ्रेशर्स की चुनौतियाँ क्या हैं?

Freshers के सामने कई चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो ये है कि उन्हें अपनी उम्मीदों के मुताबिक सैलरी नहीं मिल पाती है। इससे उनमें निराशा होती है और वे नौकरी बदलने के बारे में सोचने लगते हैं। दूसरा, उन्हें अक्सर ऐसे काम करने पड़ते हैं, जो उनकी skills के अनुरूप नहीं होते हैं। इससे उनका professional development रुक जाता है। तीसरा, उन्हें companies में आगे बढ़ने के ज़्यादा मौके नहीं मिलते हैं।

कई freshers शिकायत करते हैं कि उन्हें training और mentorship का पर्याप्त अवसर नहीं मिलता है। उन्हें लगता है कि companies सिर्फ़ उनसे काम लेती हैं और उनके development पर ध्यान नहीं देती हैं। इसके अलावा, work-life balance भी एक बड़ी चुनौती है। IT sector में काम करने का दबाव बहुत ज़्यादा होता है और freshers को अक्सर लंबे समय तक काम करना पड़ता है।

CEO वेतन में क्यों इतनी बढ़ोतरी?

अब सवाल ये उठता है कि CEO और टॉप मैनेजमेंट के वेतन में इतनी बढ़ोतरी क्यों हो रही है? इसका जवाब ये है कि companies का मानना है कि ये लोग ही company को आगे बढ़ा रहे हैं। वे strategic decisions लेते हैं, नए markets में प्रवेश करते हैं, और innovation को बढ़ावा देते हैं। इसलिए, उन्हें ज़्यादा सैलरी देना ज़रूरी है।

इसके अलावा, CEO के वेतन को अक्सर company के प्रदर्शन से जोड़ा जाता है। अगर company अच्छा प्रदर्शन करती है, तो CEO को बोनस और अन्य लाभ मिलते हैं। लेकिन, कई बार तो ऐसा भी होता है कि company का प्रदर्शन खराब होने के बावजूद CEO को अच्छी सैलरी मिलती है। इससे लोगों में गुस्सा आता है और वे companies की नीतियों पर सवाल उठाने लगते हैं। Stock options और performance-based bonuses भी CEO के वेतन में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण हैं।

आगे क्या होगा?

भविष्य में क्या होगा, ये कहना मुश्किल है। लेकिन, कुछ बातें ज़रूर हैं जो हो सकती हैं। सबसे पहले, IT companies को freshers की सैलरी बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करती हैं, तो वे अच्छे talent को खो देंगी। दूसरा, उन्हें freshers को बेहतर training और mentorship प्रदान करना होगा। इससे उनका professional development होगा और वे company के लिए ज़्यादा मूल्यवान बन पाएंगे। तीसरा, उन्हें work-life balance को बेहतर बनाने पर ध्यान देना होगा। अगर freshers खुश रहेंगे, तो वे ज़्यादा बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे।

AI और automation के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, IT companies को अपने कर्मचारियों को नई skills सीखने में मदद करनी होगी। उन्हें upskilling और reskilling कार्यक्रमों में निवेश करना होगा, ताकि उनके कर्मचारी भविष्य के लिए तैयार रहें। Government को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और IT companies को freshers के लिए बेहतर नीतियां बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। Industry-academia collaboration को बढ़ावा देना भी ज़रूरी है, ताकि students को industry की ज़रूरतों के अनुसार तैयार किया जा सके।

कुल मिलाकर, भारत के IT sector में freshers के लिए स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण है। लेकिन, अगर companies और government मिलकर काम करें, तो वे इस स्थिति को बेहतर बना सकते हैं और freshers को एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं। यह ज़रूरी है कि IT industry में fairness और equity हो, ताकि सभी को समान अवसर मिल सकें। Digital India का सपना तभी साकार होगा, जब हमारे IT professionals खुश और संतुष्ट होंगे।

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