BSF: अटारी-वाघा बॉर्डर पर फिर से ‘बीटिंग द रिट्रीट’, पर हाथ मिलाना नहीं

अटारी-वाघा बॉर्डर पर फिर से 'बीटिंग द रिट्रीट', पर हाथ मिलाना नहीं

सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच समारोह का पुन:प्रारंभ

BSF (Border Security Force) और पाकिस्तानी रेंजर्स ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर प्रतिष्ठित ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह को फिर से शुरू कर दिया है, लेकिन इस बार एक महत्वपूर्ण बदलाव के साथ – कोई हाथ मिलाना नहीं होगा। लगभग तीन वर्षों के अंतराल के बाद, यह समारोह फिर से दर्शकों के लिए खोला गया है, लेकिन कोविड-19 महामारी और उसके बाद के तनाव को देखते हुए, दोनों तरफ के सैनिक एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाएंगे। यह निर्णय आपसी सहमति से लिया गया है।

यह समारोह, जो भारत और पाकिस्तान के बीच एक जीवंत प्रदर्शन के रूप में जाना जाता है, दोनों देशों की सीमाओं पर तैनात सैनिकों द्वारा प्रदर्शित साहस और अनुशासन का प्रतीक है। पहले, समारोह के दौरान, दोनों तरफ के सैनिक बॉर्डर पर मिलते थे और एक-दूसरे के साथ हाथ मिलाते थे, जो शांति और सद्भावना का प्रतीक माना जाता था। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में, यह प्रथा अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई है।

एक वरिष्ठ BSF अधिकारी ने बताया कि “सुरक्षा प्रोटोकॉल और मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हाथ मिलाने की प्रथा को फिलहाल हटाया गया है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि समारोह सुरक्षित और सुचारू रूप से चले।” अधिकारी ने यह भी कहा कि समारोह की भव्यता और उत्साह बरकरार रहेगा, और दर्शक पहले की तरह ही इसका आनंद ले पाएंगे।

यह कदम, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव को दर्शाता है। हालांकि, समारोह का पुन:प्रारंभ दोनों देशों के बीच संवाद और समझ बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में, जब परिस्थितियाँ अनुकूल होंगी, तो हाथ मिलाने की प्रथा को फिर से शुरू किया जा सकता है। फिलहाल, यह समारोह दोनों देशों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और भावनात्मक अनुभव बना रहेगा। Spectators को भी इस बदलाव के बारे में सूचित कर दिया गया है और वे इस नए प्रारूप को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। यह ceremony भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में एक जटिल पहलू को दर्शाता है।

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